Saturday 4 March 2017

पितरो का श्राद्ध कर्म


हिन्दू धर्म शास्त्र में कहा गया भी गया है कि जो मनुष्य श्राद्ध करता है वह पित्तरों के आशीर्वाद से आयु, पुत्र, यश, बल, वैभव, सुख तथा धन-धान्य प्राप्त करता है। इसीलिये हिन्दू लोग अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष मे प्रतिदिन नियमपूर्वक स्नान करके पित्तरों का तर्पण करते है तथा जो दिन उनके पिता की मृत्यु का होता है उस दिन अपनी शक्ति के अनुसार दान एवं ब्राहमणों को भोजन कराते है। परन्तु गया जी मे श्राद्ध या पिन्डदान करने के लिए दिन महिना या तिथियो का महत्व नही होता है

             गयायां सर्व कालेषु श्राद्धं कुर्यात

पहले समय में इस देश में श्राद्ध कर्म का बहुत प्रचार था लोग अपने कर्त्तव्य पालन के लिये सुध-बुध भूल जाते थे, लोग सम्पूर्ण पितृ पक्ष में या पित्रो की तिथि मे दाढ़ी, बाल नहीं बनाते थे, तेल नहीं लगाते थे, किसी प्रकार का नशा नहीं करते थे तथा पित्तरों को पुण्य प्रदान करने के लिये सत्कर्म, दान, पुण्य, पूजा-अर्चना में लगे रहते थे।
गयाजी मे श्राद्ध करने से सभी प्रकार का मनोकामना पूर्ण होता है पितृदोष से मुक्ती मिलती है

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