पितृ दोष कया है,
सबसे पहले हम यह जानेंगे की पित्रदोष बनता कैसे हैं ? :-
सूर्य हमारे पितृ है,पिता पालनकर्ता.के कारक भी है लेकिन कुनडली में इस की परिभाषा.पालनहारा परिवार के सदस्य की.है।और जब राहु की छाया सूर्य पर पड़ता है (तब सूर्य यानि की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम हो जाता है ) यानि की जब राहू सूर्य के साथ बैठा हो , या राहु पंचम भाव में हो , या सूर्य राहु के नक्षत्र में हो , या पंचम भाव का उप नक्ष्त्र स्वामी राहु के नक्षत्र में हो तब ऐसी परिस्थिति में पितृदोष उत्पन होता है |
ऐसा माना जाता है कि परिवार में भी सब से बड़ा पितृ ऐसा जीव जिसने सारे त्याग करके खानदान को रुतबे तक.पहुँचाया हो धन अभाव या लापरवाही या निर्मोही,नास्तिक बनकर परिवार के उतराधिकारी जिस ने लम्बे समय तक न स्मरण.किया, न श्राद,न क्षमा याचना कर सुख समृद्बि का आर्शीरवाद तक मागाँ हो,प्राय:इस दोष की गिरफत में आते है। जिसकी वजह से उन्हें अपने जीवन में काफ़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है |
जिस व्यक्ति के जन्म कुंडली में भी बने है वह.ऐसा पितृदोष होता है जैसे
आपने ऐसे कई लोगों को ऐसे देखा होगा या सुना होगा जो बहुत बड़े जमींदार होते थे उनके पास बहुत ज्यादा पैसा होता था लेकिन आज उनके पास कुछ भी नहीं है यहाँ तक की अपना घर तक नहीं है इसका मुख्य कारन पितृदोष होता है जन्म कुंडली में जब भी पितृदोष बनता है यानी की राहु नकारात्मक उर्जा मजबूत होता है उस घर के सदस्यो में भी उसका प्रभाव देखने को मिलता जारी रहता है जब जब जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है यानी कि राहु मजबूत होता है।कभी कभी शादी के समय ही झगड़े झझटं.बगैर कारण के.ही.पैदा.होने लगते है।
वैवाहिक जीवन पर खास प्रभाव बन.वैवाहिक जीवन में बहुत सारी परेशानियां आती हैं यहां तक कि कई बार बात तलाक तक पहुंच जाती है और जिसका कोई खास वजह नहीं होता , अगर किसी व्यक्ति के घर में आपसी रिश्ते खराब हो और बिना किसी कारन के बार-बार झगड़े होते है ऐसे में अमावस्या को.पितरो.को.स्मरण.कर दान दक्षिणा देते रहना.चाहिऐ।
पितृदोष शांति के लिए सम्पर्क करे
गया जी पंडित
आचार्य प्रवीण पाठक
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