Wednesday 22 February 2017

पितृओ की शान्ती तर्पण आदि न करने से पाप


पित्रुओं की शांति एवं तर्पण आदि न करने वाले मानव के शरीर का रक्तपान पित्रृगण करते हैं अर्थात् तर्पण न करने के कारण पाप से शरीर का रक्त शोषण होता है।
पितृदोष की शांति हेतु सर्व श्रेष्ठ उपाय गया जी मे त्रिपिण्डी श्राद्ध, नारायण बलि कर्म, और पिन्डदान करे

त्रिपिण्डी श्राद्ध यदि किसी मृतात्मा को लगातार तीन वर्षों तक श्राद्ध नहीं किया जाए तो वह जीवात्मा प्रेत योनि में चली जाती है। ऐसी प्रेतात्माओं की शांति के लिए त्रिपिण्डी श्राद्ध कराया जाता है।

नारायण बलि कर्म यदि किसी जातक की कुण्डली में पित्रृदोष है एवं परिवार मे किसी की असामयिक या अकाल मृत्यु हुई हो तो वह जीवात्मा प्रेत योनी में चला जाता है एवं परिवार में अशांति का वातावरण उत्पन्न करता है। ऐसी स्थिति में नारायण बलि कर्म कराना आवश्यक हो जाता है।
पितृ देवता मन्त्र मंत्र जाप एक अचूक उपाय है। मृतात्मा की शांति के लिए भी मंत्र जाप करवाया जा सकता है। इसके प्रभाव से पूर्व जन्मों के सभी पाप नष्ट भी हो जाते है।

           देवताभ्य पितृभ्यश्च महायोगिश्च एव च
           नमः स्वाहा स्वधायै नित्यमेव नमो नमः

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