Tuesday 31 January 2017

गया जी मे पिन्डदान करने से ही पित्रो की मुक्ति क्यो


     पदे पदे अश्वमेधस्य यत्फलं गच्छतो गयाम

श्रीबदरीनाथ जी को छोड कर  इस भूमि पर श्री गया तीर्थ के निमित्त शास्त्रो मे जितना प्रशंसा किया गया है शायद ही किसी और तीर्थ को गया जी के समान  प्रशंसा का सौभाग्य  प्राप्त हुआ हो  और इस गयाजी का नाम पहले ब्रम्हपुरी था जहा स्वयं ब्रम्हा जी सृष्टि के बाद  इस ब्रम्हपुरी का निर्माण किया और वास किया  उसी ब्रम्हपुरी मे गयासूर नामक राझस पैदा होकर कठोर तपस्या करके अपने आराध्य भगवान नारायण को प्रसऩ्न करके इस पुण्य भूमी को अपने नाम कर लिआ और ब्रम्हादि देवता से प्रारंभ कर सभी देवताओ तथा पितृ देवताओ को नारायण की आग्या से अपने उपर समाहित कर लिया और तो और धर्म शास्त्र से भी अलग नया विरूद्द शास्त्र को भगवान नारायण की आग्या बनाया जैसे

     गयायां सर्व कार्येषु पिन्डंदद्यात विचछणः
    अधिमासे जन्मदिने चास्तेपि गुरूशुक्रयोः
    न त्यक्तं गयाश्राद्दं सिहंस्थेपि बृहस्पतौ

गयातीर्थ मे सभी समय मे श्राद्द किया जाता है अधिक मास हो गुरू शुक्र अस्त हो जन्म दिन हो आदि सभी समय पिन्डदान किया जाता है यह नियम केवल गया तीर्थ के निमित्त बना है अन्य तीर्थो पर आप यह नियम नही लागू कर सकते।

और यह गया तीर्थ भूमि के मध्य रेखा मे स्थित होने से यहा पर सूर्यास्त के बाद ४घटीतक अर्थात डेढ घंटा तक श्राद्ध किया जा सकता है 
और गरूड पुराण मे वचन है

     दिवा च सर्वदा रात्रौ गयायां श्राद्ध कृतभवेत

मात्र गया जी मे पिंडदान करने के लिए दिन या रात का विचार नही करना चाहिए जब आप को इच्छा हो तब आप तुरन्त पित्रो के उद्धार निमित्त पिन्डदान करे

गयातीर्थ साडे बारह किलो मीटर तक गयासूर राझस के शरीर परस्थिर है और देवतीर्थ तथा पितृतिर्थ के नाम से सारे विश्व मे प्रसिद्द है गयातीर्थ (गया जी) एक एसा तीर्थ है जहाँ आपको देव तथा पितर दोनो का समागम मिलेगा बाकी कही नही मिलेगा यहा पर विश्व से लोग अपने पितर के उद्दार के लिए आते है पितृ रूण से मुक्त होने के लिए आते है
इस लिए हर हिन्दू धर्म  मानने वाले को जीवन मे एक बार भी गया जी आकर पिन्डदान करना ही पडता है

और आगे इसी के बारे अगले पेज पर
Praveen Pathak  Gaya ji
9661441389
9905567875

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