Thursday, 18 June 2020
●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● महाकाल स्तोत्रं .......इस स्तोत्र को भगवान् महाकाल ने खुद भैरवी को बताया था. इसकी महिमा का जितना वर्णन किया जाये कम है. इसमें भगवान् महाकाल के विभिन्न नामों का वर्णन करते हुए उनकी स्तुति की गयी है . शिव भक्तों के लिए यह स्तोत्र वरदान स्वरुप है . नित्य एक बार जप भी साधक के अन्दर शक्ति तत्त्व और वीर तत्त्व जाग्रत कर देता है . मन में प्रफुल्लता आ जाती है . भगवान् शिव की साधना में यदि इसका एक बार जप कर लिया जाये तो सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है ।ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पतेमहाकाल महायोगिन महाकाल नमोस्तुतेमहाकाल महादेव महाकाल महा प्रभोमहाकाल महारुद्र महाकाल नमोस्तुतेमहाकाल महाज्ञान महाकाल तमोपहनमहाकाल महाकाल महाकाल नमोस्तुतेभवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमःरुद्राय च नमस्तुभ्यं पशुना पतये नमःउग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमःभीमाय च नमस्तुभ्यं मिशानाया नमो नमःईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमःसघोजात नमस्तुभ्यं शुक्ल वर्ण नमो नमःअधः काल अग्नि रुद्राय रूद्र रूप आय वै नमःस्थितुपति लयानाम च हेतु रूपआय वै नमःपरमेश्वर रूप स्तवं नील कंठ नमोस्तुतेपवनाय नमतुभ्यम हुताशन नमोस्तुतेसोम रूप नमस्तुभ्यं सूर्य रूप नमोस्तुतेयजमान नमस्तुभ्यं अकाशाया नमो नमःसर्व रूप नमस्तुभ्यं विश्व रूप नमोस्तुतेब्रहम रूप नमस्तुभ्यं विष्णु रूप नमोस्तुतेरूद्र रूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोस्तुतेस्थावराय नमस्तुभ्यं जंघमाय नमो नमःनमः उभय रूपा भ्याम शाश्वताय नमो नमःहुं हुंकार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमःसचिदानंद रूपआय महाकालाय ते नमःप्रसीद में नमो नित्यं मेघ वर्ण नमोस्तुतेप्रसीद में महेशान दिग्वासाया नमो नमःॐ ह्रीं माया – स्वरूपाय सच्चिदानंद तेजसेस्वः सम्पूर्ण मन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमःफल श्रुतिइत्येवं देव देवस्य मह्कालासय भैरवीकीर्तितम पूजनं सम्यक सधाकानाम सुखावहमजय महाकाल..।‼🙆🏼♂* 🔔‼‼‼‼‼🔔
*शिवजी पर तुलसी चढाने का फल**तुलसीमंजरीभिर्यः कुर्याद्धरिहराऽर्चनम् ।।* *न स गर्भगृहं याति मुक्तिभागी न संशयः ।। १३ ।।*(स्कंदे महापुराणे द्वितीये वैष्णवखण्डे त्रयोविंशोऽध्यायः)पद्मपुराण खण्डः ६ (उत्तरखण्डःअध्यायः १०५ -१३,)लिंगमभ्यर्चितं दृष्ट्वा, प्रतिमां केशवस्य च।तुलसीपत्रनिकरैर्मुच्यते ब्रह्महत्यया।।(ब्रह्मपुराण,नित्यकर्म पूजा प्रकाश, पृष्ठ 368)लिंगमभ्यर्चितं दृष्ट्वा सहोमासे च मामकम्।तुलसीपत्रनिकरैर्मुच्यते ब्रह्महत्यया !। (स्कन्दपुराण खण्डः २, वैष्णवखण्ड श्लोक ७)*_देवी तत्व पर तुलसी अर्पण विचार_* विना तुलस्या स्नानाङ्ग श्राद्ध यज्ञार्चनं प्रिये।न संपूर्ण फलं प्राहु: सर्व एव विपश्चित:!!सुंदरीभैरवीकाली ब्रह्माविष्णुविवस्वताम्।विना तुलस्या या पूजा सा पूजा निष्फला भवेत् ।सावित्री च भवानी च, दुर्गा देवीं सरस्वतीम्।योऽर्चयेत्तुलसीपत्रै: सर्वकामै: स मेधते।। (वृहत्तन्त्रसार)
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