Wednesday 15 August 2018

पित्र दोष क्या है वैदिक ग्रंथो के आधार पर पूर्वजो के द्वारा किये गए कर्मो का फल आने वाली पीड़ियों झेलना पड़ता है।विद्वानों का मानना है की हमारे पूर्वजो का यदि पिंड दान और श्राद न किया जाए तो हमारे पूर्वज हमें परेशानं करते है और इसे ही पित्र दोष कहते है ! किसी भी जातक की कुडली में पित्र दोष का सबसे बुरा प्रभाव उस जातक की संतान पर आता है ! जैसे यदि किसी जातक की कुंडली में पित्र दोष है तो उस जातक को संतान की कमी या संतान सम्बन्धी परेशानियों से जूझना पड़ता है ! इसके अलावा पित्र दोष के कारण जातक हमेशा आर्थिक परेशानियों से जूझता रहता है ! कड़ी मेहनत के बावजूद आमदनी कम होती है और बहुत मुश्किलों से ही अपना घर खर्च चला पाता है ! यदि जातक मांगलिक दोष से भी पीड़ित है तो निश्चित ही पत्नी से संबध विच्छेद हो जाता है पितृ दोष के कारण व्यक्ति को बहुत से कष्ट उठाने पड़ सकते हैं, जिनमें विवाह ना हो पाने की समस्या, विवाहित जीवन में कलह रहना, परीक्षा में बार-बार असफल होना, नशे का आदि हो जाना, नौकरी का ना लगना या छूट जाना, गर्भपात या गर्भधारण की समस्या, बच्चे की अकाल मृत्यु हो जाना या फिर मंदबुद्धि बच्चे का जन्म होना, निर्णय ना ले पाना, अत्याधिक क्रोधी होना। यदि कुडली में सूर्य पीड़ित होगा तो पित्र दोष अवश्य होगा ! इसके आलावा कुंडली में यदि नवम भाव राहू या शनि के द्वारा पीड़ित है, चाहे उनकी युक्ति हो या दृष्टि, पित्र दोष अवश्य होगा ! कुन्डली का नवां घर धर्म का घर कहा जाता है, यह पिता का घर भी होता है, अगर किसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी, जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है वे राहू,केतु,शनि कहे जाते है नवां भाव, नवें भाव का मालिक ग्रह, अगर राहु,शनि या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहा जाता है। इस प्रकार का जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की टेंसन में रहता है, वह जीविका के लिये तरसता रहता है ज्यादा जानकारी के लिए संपर्क करे गया जी तीर्थ पुरोहित पंडित प्रवीण पाठक. 9661441389 9905567875

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