Thursday 20 April 2017

मातृ दोष और श्राप के कारण संतान हीनता और ज्योतिष्य योग उपाय


मातृ श्राप में जातक द्वारा माता की आत्मा दुखाने,उसे विभिन्न प्रकार से कष्ट देने से माँ की बद्दुआ श्राप बनकर जातक को संतान हींन बना देती है,जिनको ग्रहो के प्रभाव के माध्यम से ज्योतिषीय सूत्रो में दर्शाया गया है जो निम्नलिखित है। इस दोष के परिहार के लिए गया जी मे पिन्डदान अवश्य करें। विशेष करके गया जी मे सीता कुन्ड नाम का तीर्थ स्थल है वहा सौभाग्य दान तथा पिन्डदान करके  मातृ दोष तथा उनके श्राप से मुक्ति पायें

१👉 यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में छठे,आठवे,भाव के स्वामी लग्न में चतुर्थेश(सुखेश) एव चन्द्रमा बारहवे भाव में हो तथा गुरु पाप ग्रहो से युत होकर पंचम भाव में हो तो माता के श्राप से संतान हानि होती है।

२👉 यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में लग्न पापी ग्रहो के मध्यस्त में हो तथा क्षीण(अस्त व् नीच) चन्द्रमा सप्तम भाव में हो वे चतुर्थ,पंचम भाव में शनि राहु होतो माता के श्राप से संतान हानि होती है।

३👉 यदि अष्टमेश पंचम भाव में हो और पंचमेश अष्टम भाव में हो अर्थात दोनों परस्पर राशि परिवर्तन कर के बैठे हों तथा चंद्रमा व् चतुर्थेश छठे ,आठवे,या बारहवे भाव में हो तो माता के श्राप से संतान हानि होती है।

४👉 यदि लग्न में कर्क राशि हॉनर मंगल-राहु से युत हो तो भी माता के श्राप से संतान हानि होती है।

५👉 यदि जातक की कुण्डली में लग्न,पंचम,अष्टम,द्वादश भाव में मंगल,राहु,सूर्य,व् शनि हो तथा चतुर्थेश चतुर्थ अथवा अष्टम भाव हो तो माता के श्राप से संतान हानि होती है।

६👉 यदि किसी जातक की जन्म पत्री में गुरु, मंगल या राहु या दोनों से युत हो और पंचम भाव में शनि,चंद्र हो तो माता के श्राप से संतान हानि होती है।

७👉 यदि जातक की कुण्डली में पंचमेश चंद्र अपनी नीच राशि में या पापी ग्रहो के मध्य हो और चतुर्थ पंचम भाव में पापी ग्रह हो तो भी माता के श्राप से संतान हानि होती है।

८👉 यदि जातक की जन्म कुण्डली में ग्यारहवे भाव में शनि हो और चतुर्थ भाव में पाप ग्रह हो तथा अपनी नीच राशि में चन्द्रमा पंचम भाव में हो तो माता के श्राप से संतान हानि होती है ।

९👉 यदि कुण्डली में पंचमेश छठे,आठवे या बारहवे भाव में हो,लग्नेश अपनी नीच राशि में हो और चंद्रमा पापी ग्रहो से युत हो तो भी माता के श्राप से संतान हानि होती है ।

१०👉 यदि जातक की कुण्डली में पंचमेश छठे,आठवे या बारहवे भाव में हो तथा चन्द्रमा पापांश में हो लग्न एवं पंचम भाव में पापी ग्रह हो तो माता के श्राप से संतान की हानि होती है।

११👉 जातक की कुण्डली में यदि पंचमेश चंद्र शनि,राहु,मंगल से युत हो और कारक ग्रह गुरु नवम भाव या पंचम भाव में हो तो माता के श्राप से संतान हानि होती है।

१२👉 यदि कुण्डली में चतुर्थेश मंगल,शनि राहु से युत हो और पंचम भाव एवं लग्न सूर्य चंद्र से युत हो तो भी माता के श्राप से संतान हानि होती है।

१३👉 लग्नेश,पंचमेश छठे भाव में हो तथा चतुर्थेश अष्टम भाव में हो अष्टमेश एवं दशमेश लग्न में हो तो जातक की संतान हानि माता के श्राप से होती है ।

१४👉 यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में वृश्चिक लग्न में शनि हो और चतुर्थ भाव में पापी ग्रह बैठे हों पंचम भाव में चंद्र हो तो जातक की माता के श्राप से संतान हानि होती है ।
१५👉 यदि कुण्डली में चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल होकर राहु शनि से युत हो और लग्न में सूर्य एवं चन्द्रमा हो तो भी जातक की संतान हानि माता के श्राप से होती है।

१५👉 यदि किसी जातक की कुण्डली में चतुर्थेश अष्टम भाव में हो और छठे भाव में लग्नेश-पंचमेश युति करके बैठे हो तो ऐसे व्यक्ति की संतान हानि माता के श्राप से होती है।

१६👉 यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में अष्टमेश पंचम भाव में हो तथा चन्द्रमा चतुर्थेश से युति करके छाते भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति की संतान हानि माता के श्राप से होती है।

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